An Idea, a hope......

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Saturday, February 14, 2015

Ek Nanha Sapna

खिलोनो की दुकान से दूर हाथों मे
कुछ सिक्के गिनते मैने उसे देखा,
एक अनाथ बचे की आँखों मे
मैने बचपन को मरते देखा

थी चाह उसे भी नये कपड़े पहनने की
पर उन्ही पुराने कपड़ो को मैने उसे सॉफ करते देखा
तुमने देखा कभी चाँद पे बैठा पानी
मैने उसके रुखसार पे बैठे देखा .

हम करते हैं सदा अपने गमो की नुमाइश
उसे मैने गमो मे मुस्कुराते देखा
नही थे मा बाप उसके
उसे मा का प्यार ओर पिता के हाथों की कमी महसूस करते देखा.

जब किसी ने पूछा “बचे क्या चाहिए तुम्हे”
तो उसे चुप छाप मुस्कुरकर ना मे सर हिलाते देखा
थी वो उमर बहोत छोटी अभी
पर उसके अंदर मैने ज़मीर को पलते देखा
रात को सारे शहर की चमक मे
मैने उसे हस्ते हुए बेबस चेरे को देखा

उड़ते हुए हवाई जहाज़ो मे
मैने उसके एक सपने को पलते देखा

कोई मनाता है जशन
कोई रहता है तरसता
मैने वो देखा जो किसी ने नही देखा

अपने जैसे कुछ ओर बच्चो मे
मैने उसे ज़िंदगी जीते देखा
जम्मू की उन राहों मे
मैने उसे बिना दिल के शान से जीते देखा
शान से जीते देखा



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